इंटरनेशनल न्यूज. मंगलवार को दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून की ओर से मार्शल लॉ की घोषणा में किम एक अहम शख्सियत के तौर पर सामने आए। रायटर की रिपोर्ट के अनुसार, किम ने राष्ट्रपति यून को यह सिफारिश दी थी। वहीं, राष्ट्रपति के चीफ ऑफ स्टाफ चुंग जिन-सुक ने किम को “सिद्धांतों वाला व्यक्ति” बताया, जो अपने कर्तव्यों को पूरी निष्ठा और नियमों के पालन के साथ निभाते हैं।
सियासी संकट और फैसले की वापसी
मार्शल लॉ की घोषणा के बाद मचे राजनीतिक भूचाल और कूटनीतिक दबाव के चलते बुधवार सुबह राष्ट्रपति यून ने इस फैसले को वापस लेने का ऐलान किया। इसके तुरंत बाद उन्होंने नए रक्षा मंत्री की नियुक्ति का पहला आधिकारिक कदम उठाया।
महाभियोग प्रस्ताव पर विवाद
गुरुवार को दक्षिण कोरिया की संसद में विपक्षी दल ने राष्ट्रपति यून के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश किया। यह प्रस्ताव मार्शल लॉ लागू करने के कदम को लेकर था। सत्ताधारी पीपल्स पावर पार्टी ने इस प्रस्ताव का विरोध किया, जिससे पूरी प्रक्रिया को लेकर अनिश्चितता पैदा हो गई। विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी ने मार्शल लॉ को “राष्ट्रद्रोही कदम” करार दिया।
अमेरिका की प्रतिक्रिया
अमेरिकी विदेश उपमंत्री कर्ट कैंपबेल ने राष्ट्रपति यून की इस घोषणा को “गलत कदम” बताया। उन्होंने दक्षिण कोरिया में गहरे राजनीतिक ध्रुवीकरण के बावजूद राष्ट्रपति के फैसले का समर्थन करने वाले नेताओं की प्रशंसा की। उन्होंने इसे दक्षिण कोरिया के लोकतंत्र की मजबूती के लिए महत्वपूर्ण बताया। कैंपबेल ने यह भी कहा कि आने वाले महीनों में दक्षिण कोरिया कठिन दौर में रहेगा, लेकिन अमेरिका का इस देश के साथ गठबंधन पूरी तरह मजबूत है।
बिल्ल पास कराने के लिए बहुमत की जरूरत
हालांकि, विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के पास संसद में बहुमत है, लेकिन बिल को पास कराने के लिए उन्हें सत्ताधारी पार्टी के कम से कम आठ सांसदों का समर्थन चाहिए। उधर, सत्ताधारी पार्टी में भी इस मुद्दे पर मतभेद नजर आ रहे हैं।
आगे की राह
राजनीतिक उथल-पुथल के इस दौर में दक्षिण कोरिया की स्थिरता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। सत्ताधारी और विपक्षी दलों के बीच टकराव से यह स्पष्ट है कि आने वाले समय में स्थिति और जटिल हो सकती है। युन द्वारा मंगलवार को एक चौंकाने वाली मार्शल लॉ घोषणा में अमेरिका के प्रमुख सहयोगी और एशिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले पूर्वी एशियाई देश में राजनीतिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने और मीडिया को सेंसर करने का आह्वान किया गया। इस घोषणा के कारण देश में छह घंटे तक अफरा-तफरी मची रही।