टैक न्यूज. हाल ही में एक संघीय न्यायाधीश के फैसले ने मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग को 25 मुकदमों में व्यक्तिगत जिम्मेदारी से बचाया है। इन मुकदमों में आरोप लगाया गया था कि मेटा के प्लेटफार्म, फेसबुक और इंस्टाग्राम, बच्चों के बीच आदत लगाने और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं में योगदान कर रहे हैं। कैलिफोर्निया के ओकलैंड में स्थित यूएस डिस्ट्रिक्ट जज यवोन गोंजालेज रोजर्स ने यह आरोप खारिज कर दिया कि जुकरबर्ग ने युवा उपयोगकर्ताओं के लिए मानसिक स्वास्थ्य जोखिमों को छिपाने के प्रयासों को सीधे तौर पर बढ़ावा दिया या उनका समन्वय किया।
फैसला और जुकरबर्ग की स्थिति
गुरुवार को दिया गया यह निर्णय इस बात पर आधारित था कि भले ही जुकरबर्ग मेटा के गतिविधियों पर नियंत्रण रखते हैं, लेकिन आरोप लगाने वाले पक्षों के पास उनकी व्यक्तिगत संलिप्तता का कोई ठोस प्रमाण नहीं था। जज रोजर्स ने यह स्पष्ट किया कि “कंपनी की गतिविधियों पर नियंत्रण मात्र” इसे जिम्मेदार ठहराने के लिए पर्याप्त नहीं है। हालांकि, यह निर्णय मेटा पर चल रहे संबंधित आरोपों को प्रभावित नहीं करता है।
संगठित अभियोजन और भविष्य की योजना
मुकदमे की ओर से पेश हुए प्रेविन वॉरेन ने बताया कि उनके क्लाइंट बड़ी टेक कंपनियों, जैसे मेटा, के खिलाफ साक्ष्य एकत्रित करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। उनका दावा है कि इन कंपनियों ने युवा उपयोगकर्ताओं की भलाई की बजाय लाभ को प्राथमिकता दी। यह मुकदमा 13 अमेरिकी राज्यों में दायर किया गया है, जिनमें न्यू यॉर्क, टेक्सास और ओहायो जैसे प्रमुख राज्य शामिल हैं। वॉरेन ने यह भी कहा कि उनका उद्देश्य यह है कि कैसे बड़ी टेक कंपनियां बच्चों की मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही हैं, इसका खुलासा किया जाए।
कानूनी दबाव और बढ़ती चिंताएं
इसके अलावा, राज्य के दर्जनों अटॉर्नी जनरल ने मेटा के खिलाफ समान मुकदमे दायर किए हैं, जिनमें सोशल मीडिया के उपयोग और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं जैसे चिंता, अवसाद, अनिद्रा, और शिक्षा पर इसके प्रभाव के बीच संबंध का हवाला दिया गया है। सोशल मीडिया कंपनियों के खिलाफ यह कानूनी दबाव बढ़ती सार्वजनिक चिंताओं को दर्शाता है, खासकर तब जब अधिक साक्ष्य यह साबित कर रहे हैं कि ऑनलाइन गतिविधियाँ युवा उपयोगकर्ताओं के वास्तविक जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही हैं। ह निर्णय सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव को लेकर बढ़ती बहस का हिस्सा है, जो बच्चों और युवाओं की भलाई के लिए गंभीर सवाल उठाता है।