बिजनेस न्यूज. भारत की आर्थिक प्रगति का सीधा संबंध राज्यों के राजकोषीय स्वास्थ्य से है। राज्य सार्वजनिक व्यय का दो-तिहाई हिस्सा प्रबंधित करते हैं और कुल राजस्व का एक-तिहाई योगदान देते हैं। राज्यों की वित्तीय रणनीतियों का आकलन करने के लिए नीति आयोग ने हाल ही में “राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक (FHI)” जारी किया है।
एफएचआई क्या है?
व्यय की गुणवत्ता: विकासात्मक व्यय और पूंजी निवेश के अनुपात पर ध्यान।
राजस्व जुटाना: आर्थिक उत्पादन के अनुरूप राजस्व संग्रह की क्षमता।
राजकोषीय विवेकशीलता: उधारी पर निर्भरता और राजस्व-व्यय संतुलन।
ऋण सूचकांक: ब्याज भुगतान और बकाया देनदारियों का आकलन।
ऋण स्थिरता: आर्थिक विकास और ऋण सेवा आवश्यकताओं का संतुलन।
2022-23 की मुख्य उपलब्धियां
उत्कृष्ट प्रदर्शनकर्ता राज्य
ओडिशा: 67.8 अंकों के साथ शीर्ष पर, बेहतर ऋण प्रबंधन और राजस्व जुटाने में अग्रणी। छत्तीसगढ़: संतुलित व्यय और राजकोषीय विवेक में उत्कृष्टता।
गोवा: उच्च राजस्व जुटाने की दक्षता।
चिंताजनक स्थिति वाले राज्य
पंजाब, केरल, आंध्र प्रदेश: उच्च ऋण स्तर और कमजोर राजस्व सृजन के कारण राजकोषीय तनाव।
एफएचआई रिपोर्ट के प्रमुख आँकड़े
- राज्य एफएचआई स्कोर रैंक प्रमुख ताकतें
- ओडिशा 67.8 1 ऋण स्थिरता, राजस्व जुटाना
- छत्तीसगढ़ 55.2 2 संतुलित व्यय और राजकोषीय विवेक
- गोवा 53.6 3 राजस्व जुटाने में दक्षता
- पंजाब 10.7 18 ऋण स्थिरता और राजस्व सृजन में संघर्ष
नीति निर्माताओं के लिए सुझाव
एफएचआई राज्यों को विवेकपूर्ण वित्तीय प्रबंधन के लिए प्रोत्साहित करता है। यह कमजोरियों की पहचान कर सुधार के क्षेत्र सुझाता है। बेहतर राजकोषीय नीतियाँ न केवल राज्यों की आर्थिक स्थिरता को मजबूत करेंगी, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक प्रगति को भी बढ़ावा देंगी। नीति आयोग की रिपोर्ट भारत के राज्यों में बेहतर राजकोषीय प्रथाओं को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण कदम है। यदि राज्य राजस्व सृजन और ऋण प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करें, तो भारत की आर्थिक स्थिरता में बड़ा योगदान दे सकते हैं।