बिजनैस न्यूज. क्रिसिल रेटिंग्स के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2024-25 (FY25) में टायर निर्माताओं की आमदनी में 7-8% की वृद्धि होने की संभावना है। यह वृद्धि मुख्य रूप से 3-4% के मूल्यवृद्धि और वॉल्यूम में बढ़ोतरी के कारण होगी। यह लगातार दूसरा साल होगा जब टायर उद्योग की आय में एकल अंकों की वृद्धि दर्ज की जाएगी।
पिछले वर्षों का प्रदर्शन
रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2020-21 से 2022-23 के बीच टायर निर्माताओं ने 21% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) दर्ज की थी। हालांकि, मौजूदा वित्त वर्ष में वृद्धि धीमी रहने की उम्मीद है।
कीमतों में वृद्धि और मांग की भूमिका
क्रिसिल ने बताया कि टायर कंपनियां प्राकृतिक रबर की बढ़ती लागत को देखते हुए धीरे-धीरे अपनी कीमतें बढ़ा रही हैं। इस वर्ष मांग में वृद्धि मुख्य रूप से रिप्लेसमेंट सेगमेंट से होगी। रिप्लेसमेंट मांग विशेष रूप से वाणिज्यिक और यात्री वाहनों से आएगी। वहीं, वाहन निर्माताओं (OEMs) से मांग केवल 1-2% बढ़ने की संभावना है, क्योंकि वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री धीमी गति से बढ़ रही है।
टॉप कंपनियों का योगदान
रिपोर्ट में बताया गया है कि उद्योग की कुल आय में से 87% योगदान शीर्ष छह टायर निर्माताओं का है। ये कंपनियां घरेलू बाजार और निर्यात दोनों में प्रमुख भूमिका निभाती हैं।
निर्यात में धीमी वृद्धि
निर्यात के मोर्चे पर 2-3% की मामूली वृद्धि की संभावना है। यूरोप और उत्तरी अमेरिका जैसे प्रमुख बाजारों में कमजोर मांग की वजह से यह रुझान देखा जा रहा है। देश के कुल टायर निर्यात का 60% हिस्सा इन्हीं बाजारों में जाता है।
घरेलू मांग का प्रमुख योगदान
क्रिसिल के वरिष्ठ निदेशक अनुज सेठी ने बताया कि घरेलू मांग उद्योग की कुल बिक्री का 75% है। इसमें से दो-तिहाई मांग रिप्लेसमेंट सेगमेंट से आती है और शेष वाहन निर्माताओं से। इस वित्त वर्ष में टायर उद्योग की वृद्धि मुख्यतः घरेलू रिप्लेसमेंट मांग पर निर्भर करेगी। हालांकि, निर्यात में सुस्ती और उत्पादन लागत में वृद्धि उद्योग के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है।